उस से हम पूछ थोड़ी सकते हैं
उस की मर्ज़ी जहाँ रखे जिस को
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हाए वो भीगा रेशमी पैकर
गीले बालों को सँभाल और निकल जंगल से
भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है
कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बा'द भी
जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में
दोश देते रहे बे-कार ही तुग़्यानी को
गिरते पेड़ों की ज़द में हैं हम लोग
कैसे दुनिया का जाएज़ा किया जाए
हमारे ज़ाहिरी अहवाल पर न जा हम लोग
मैं जानता हूँ मुझे मुझ से माँगने वाले
बहुत से साँप थे इस ग़ार के दहाने पर