हमारे ज़ाहिरी अहवाल पर न जा हम लोग
क़याम अपने ख़द-ओ-ख़ाल में नहीं करते
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
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Jaun Eliya
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
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कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं
प्यास की पैदाइश तो कल का क़िस्सा है
हम अपनी नेकी समझते तो हैं तुझे लेकिन
कोई सिलसिला नहीं जावेदाँ तिरे साथ भी तिरे बा'द भी
रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए
एक ही वक़्त में प्यासे भी हैं सैराब भी हैं
ये ख़मोशी मिरी ख़मोशी है
आँख खुलते ही जबीं चूमने आ जाते हैं
जाते हुए नहीं रहा फिर भी हमारे ध्यान में
ख़ुद पर हराम समझा समर के हुसूल को
कोशिशें कर के दिल बुरा किया था
ये जो रहते हैं बहुत मौज में शब भर हम लोग