ये अलग बात कि मैं नूह नहीं था लेकिन
मैं ने कश्ती को ग़लत सम्त में बहने न दिया
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किसी के ऐब छुपाना सवाब है लेकिन
वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुए
घर से किस तरह मैं निकलूँ कि ये मद्धम सा चराग़
रंगतें मासूम चेहरों की बुझा दी जाएँगी
हम ने जो क़सीदों को मुनासिब नहीं समझा
मैं जिसे ढूँडने निकला था उसे पा न सका
अजब जुनून है ये इंतिक़ाम का जज़्बा
मयस्सर हो जो लम्हा देखने को
इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा
हर एक रात को महताब देखने के लिए
वो मेरा यार था मुझ को न ये ख़याल आया