सुनने वाले मिरा क़िस्सा तुझे क्या लगता है
चोर दरवाज़ा कहानी का खुला लगता है
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रूठ जाएगा तो मुझ से और क्या ले जाएगा
मैं उस के सामने उर्यां लगूँगी दुनिया को
मेरे अंदर एक दस्तक सी कहीं होती रही
वो मिरा साया मिरे पीछे लगा कर खो गया
हम से ज़ियादा कौन समझता है ग़म की गहराई को
ज़रा सी देर में वो जाने क्या से क्या कर दे
मुझे कहाँ मिरे अंदर से वो निकालेगा
पकड़ने वाले हैं सब ख़ेमे आग और बेहोश
टटोलता हुआ कुछ जिस्म ओ जान तक पहुँचा
उम्र भर रास्ते घेरे रहे उस शख़्स का घर
वो इक नज़र से मुझे बे-असास कर देगा
ये हौसला भी किसी रोज़ कर के देखूँगी