Sad Poetry of Barq Mirza Raza

Sad Poetry of Barq Mirza Raza
नाममिर्ज़ा रज़ा बर्क़
अंग्रेज़ी नामBarq Mirza Raza
जन्म की तारीख1790
मौत की तिथि1857
जन्म स्थानLucknow

जोश-ए-वहशत यही कहता है निहायत कम है

इतना तो जज़्ब-ए-इश्क़ ने बारे असर किया

हम तो अपनों से भी बेगाना हुए उल्फ़त में

देख कर तूल-ए-शब-ए-हिज्र दुआ करता हूँ

ज़ेर-ए-ज़मीं हूँ तिश्ना-ए-दीदार-ए-यार का

वहशत में भी रुख़ जानिब-ए-सहरा न करेंगे

क़मर की वो ख़ुर्शीद तस्वीर है

पर्दा उलट के उस ने जो चेहरा दिखा दिया

मतलब न काबे से न इरादा कनिश्त का

मैं अगर रोने लगूँ रुतबा-ए-वाला बढ़ जाए

लब-ए-रंगीं से अगर तू गुहर-अफ़शाँ होता

जब अयाँ सुब्ह को वो नूर-ए-मुजस्सम हो जाए

गया शबाब न पैग़ाम-ए-वस्ल-ए-यार आया

देखी जो ज़ुल्फ़-ए-यार तबीअत सँभल गई

चाँद सा चेहरा जो उस का आश्कारा हो गया

ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है

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