Sad Poetry of Barq Mirza Raza
नाम | मिर्ज़ा रज़ा बर्क़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Barq Mirza Raza |
जन्म की तारीख | 1790 |
मौत की तिथि | 1857 |
जन्म स्थान | Lucknow |
कविताएं
Ghazal 22
Couplets 21
Love 25
Sad 16
Heart Broken 17
Bewafa 1
Hope 9
Friendship 9
Islamic 9
देशभक्तिपूर्ण 1
ख्वाब 5
Sharab 4
जोश-ए-वहशत यही कहता है निहायत कम है
इतना तो जज़्ब-ए-इश्क़ ने बारे असर किया
हम तो अपनों से भी बेगाना हुए उल्फ़त में
देख कर तूल-ए-शब-ए-हिज्र दुआ करता हूँ
ज़ेर-ए-ज़मीं हूँ तिश्ना-ए-दीदार-ए-यार का
वहशत में भी रुख़ जानिब-ए-सहरा न करेंगे
क़मर की वो ख़ुर्शीद तस्वीर है
पर्दा उलट के उस ने जो चेहरा दिखा दिया
मतलब न काबे से न इरादा कनिश्त का
मैं अगर रोने लगूँ रुतबा-ए-वाला बढ़ जाए
लब-ए-रंगीं से अगर तू गुहर-अफ़शाँ होता
जब अयाँ सुब्ह को वो नूर-ए-मुजस्सम हो जाए
गया शबाब न पैग़ाम-ए-वस्ल-ए-यार आया
देखी जो ज़ुल्फ़-ए-यार तबीअत सँभल गई
चाँद सा चेहरा जो उस का आश्कारा हो गया
ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है