Islamic Poetry of Bedam Shah Warsi

Islamic Poetry of Bedam Shah Warsi
नामबेदम शाह वारसी
अंग्रेज़ी नामBedam Shah Warsi
जन्म की तारीख1876
मौत की तिथि1936
जन्म स्थानBarabanki

कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं

बरहमन मुझ को बनाना न मुसलमाँ करना

यूँ गुलशन-ए-हस्ती की माली ने बिना डाली

ये साक़ी की करामत है कि फ़ैज़-ए-मय-परस्ती है

ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक

तुम ख़फ़ा हो तो अच्छा ख़फ़ा हो

सीने में दिल है दिल में दाग़ दाग़ में सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़

सहारा मौजों का ले ले के बढ़ रहा हूँ मैं

क़फ़स की तीलियों से ले के शाख़-ए-आशियाँ तक है

पास-ए-अदब मुझे उन्हें शर्म-ओ-हया न हो

न तो अपने घर में क़रार है न तिरी गली में क़याम है

न सुनो मेरे नाले हैं दर्द-भरे दार-ओ-असरे आह-ए-सहरे

न मेहराब-ए-हरम समझे न जाने ताक़-ए-बुत-ख़ाना

मुझे शिकवा नहीं बर्बाद रख बर्बाद रहने दे

मुबारक साक़ी-ए-मस्ताँ मुबारक

में ग़श में हूँ मुझे इतना नहीं होश

काश मिरी जबीन-ए-शौक़ सज्दों से सरफ़राज़ हो

कभी यहाँ लिए हुए कभी वहाँ लिए हुए

काबे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए

गुल का किया जो चाक गरेबाँ बहार ने

बरहमन मुझ को बनाना न मुसलमाँ करना

अल्लाह-रे फ़ैज़ एक जहाँ मुस्तफ़ीद है

अगर काबा का रुख़ भी जानिब-ए-मय-ख़ाना हो जाए

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