लम्हा लम्हा मुझे वीरान किए देता है
बस गया मेरे तसव्वुर में ये चेहरा किस का
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Wasi Shah
Javed Akhtar
Gulzar
Rahat Indori
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(972) Peoples Rate This
सारे नुक़ूश जिस पे तिरे आशियाँ के हैं
फिर मरहला-ए-ख़्वाब-ए-बहाराँ से गुज़र जा
हसीं है शहर तो उजलत में क्यूँ गुज़र जाएँ
इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवा
अदा-ए-हैरत-ए-आईना-गर भी रखते हैं
ये राह-ए-इश्क़ है आख़िर कोई मज़ाक़ नहीं
रह गया ख़्वाब-ए-दिल-आराम अधूरा किस का
कहाँ मैं अभी तक नज़र आ सका हूँ
ये दिलचस्प वादे ये रंगीं दिलासे