आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़
दूसरे रोज़ ए'तिबार हुआ
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शहसवारों ने रौशनी माँगी
नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है
तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं
जब रेतीले हो जाते हैं
सहराओं ने माँगा पानी
चलती साँसों को जाम करने लगा
उसे ले कर जो गाड़ी जा चुकी है
ज़रा मोहतात होना चाहिए था
एक मेहमाँ का हिज्र तारी है
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
वो कहीं था कहीं दिखाई दिया
बदन का ज़िक्र बातिल है तो आओ