''आप की याद आती रही रात भर''
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
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आज शब कोई नहीं है
इधर न देखो
मर्ग-ए-सोज़-ए-मोहब्बत
हमारे दम से है कू-ए-जुनूँ में अब भी ख़जिल
ऐ हबीब-ए-अम्बर-दस्त!
आ गई फ़स्ल-ए-सुकूँ चाक-गरेबाँ वालो
फूल मुरझा गए सारे
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
दरबार में अब सतवत-ए-शाही की अलामत
ज़ेर-ए-लब है अभी तबस्सुम-ए-दोस्त
यार अग़्यार हो गए हैं
हम सादा ही ऐसे थे की यूँ ही पज़ीराई