मुझ में है यही ऐब कि औरों की तरह मैं
चेहरे पे कभी दूसरा चेहरा नहीं रखता
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1017) Peoples Rate This
हमारे तन पे कोई क़ीमती क़बा न सही
दिमाग़ अहल-ए-मोहब्बत का साथ देता नहीं
खुली न मुझ पे भी दीवानगी मिरी बरसों
मैं एक बूँद समुंदर हुआ तो कैसे हुआ
चिलड्रेंस-डे
कमी ज़रा सी अगर फ़ासले में आ जाए
कौन आता है अयादत के लिए देखें 'फ़राग़'
मेरी दादी
दयार-ए-शब का मुक़द्दर ज़रूर चमकेगा
जिस दिन से कोई ख़्वाहिश-ए-दुनिया नहीं रखता
कभी यक़ीं से हुई और कभी गुमाँ से हुई
उर्दू