है दोस्ती-ए-आल-ए-अबा रोने से
है दर्जा-ए-वाला-ए-विला रोने से
तू दिल का ग़ुबार अपने 'क़लक़' रो के निकाल
ये आइना होता है सफ़ा रोने से
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Wasi Shah
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दामन से गुल-ए-ताज़ा महकते निकले
हर ज़ख़्म-ए-जिगर खाया है दिल पर तन कर
उस से न मिलिए जिस से मिले दिल तमाम उम्र
दोस्ती उस की दुश्मनी ही सही
बे-बर्ग-ओ-नवा की शेर-ख़्वानी मा'लूम
दुनिया का तमाम कारख़ाना है अबस
वो ज़िक्र था तुम्हारा जो इंतिहा से गुज़रा
दुनिया है अजब बू-क़लमूँ ज़िद-आमोज़
ता-माह-ए-सियाम हुए बाब-ए-उम्मीद
जाँ जाए पर उम्मीद न जाएगी कभी
कल तक थी ख़ुल्द ख़ाना-ज़ाद-ए-देहली
किस क़दर दिलरुबा-नुमा है दिल