ग़ुर्बत बस अब तरीक़-ए-मोहब्बत को क़त्अ कर
मुद्दत हुई है अहल-ए-वतन से जुदा हुए
Wasi Shah
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Anwar Masood
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(772) Peoples Rate This
दाग़-ए-दिल हैं ग़ैरत-ए-सद-लाला-ज़ार अब के बरस
असल साबित है वही शरअ' का इक पर्दा है
बुतान-ए-सर्व-क़ामत की मोहब्बत में न फल पाया
करो बातें हटाओ आइना बस बन चुके गेसू
दिल में भरी है ख़ाक में मिलने की आरज़ू
बहुत दिनों में वो आए हैं वस्ल की शब है
कसी हैं भब्तियाँ मस्जिद में रीश-ए-वाइज़ पर
बरहमन शैख़ को कर दे निगाह-ए-नाज़ उस बुत की
दिल लिया है तो ख़ुदा के लिए कह दो साहब
लब-ए-जाँ-बख़्श तक जा कर रहे महरूम बोसा से
बना के आईना-ए-तसव्वुर जहाँ दिल-ए-दाग़-दार देखा
शब-ए-फ़ुर्क़त है ठहरते नहीं शोले दिल में