Ghazals of Haidar Qureshi

Ghazals of Haidar Qureshi
नामहैदर क़ुरैशी
अंग्रेज़ी नामHaidar Qureshi
जन्म स्थानGermany

वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे

उस दरबार में लाज़िम था अपने सर को ख़म करते

तुम्हारे इश्क़ में किस किस तरह ख़राब हुए

मेरे उस के दरमियाँ जो फ़ासला रक्खा गया

लफ़्ज़ तेरी याद के सब बे-सदा कर आए हैं

जो बस में है वो कर जाना ज़रूरी हो गया है

फ़स्ल-ए-ग़म की जब नौ-ख़ेज़ी हो जाती है

इक ख़्वाब कि जो आँख भिगोने के लिए है

अंदर की दुनियाएँ मिला के एक नगर हो जाएँ

अजीब कर्ब-ओ-बला की है रात आँखों में

अब के उस ने कमाल कर डाला

आप लोगों के कहे पर ही उखड़ जाते हैं

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