Islamic Poetry of Hari Chand Akhtar

Islamic Poetry of Hari Chand Akhtar
नामहरी चंद अख़्तर
अंग्रेज़ी नामHari Chand Akhtar
जन्म की तारीख1901
मौत की तिथि1958

शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

भरोसा किस क़दर है तुझ को 'अख़्तर' उस की रहमत पर

अगर तेरी ख़ुशी है तेरे बंदों की मसर्रत में

सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं

शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

सैर-ए-दुनिया से ग़रज़ थी महव-ए-दुनिया कर दिया

मिलेगी शैख़ को जन्नत, हमें दोज़ख़ अता होगा

जिस ज़मीं पर तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा होता है

जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास

ग़ुरूर-ज़ब्त से आह-ओ-फ़ुग़ाँ तक बात आ पहुँची

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