Love Poetry of Hari Chand Akhtar

Love Poetry of Hari Chand Akhtar
नामहरी चंद अख़्तर
अंग्रेज़ी नामHari Chand Akhtar
जन्म की तारीख1901
मौत की तिथि1958

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

जिन्हें हासिल है तेरा क़ुर्ब ख़ुश-क़िस्मत सही लेकिन

जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास

हाँ वो दिन याद हैं जब हम भी कहा करते थे

अगर तेरी ख़ुशी है तेरे बंदों की मसर्रत में

उमीदों से दिल-ए-बर्बाद को आबाद करता हूँ

शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

सैर-ए-दुनिया से ग़रज़ थी महव-ए-दुनिया कर दिया

कलियों का तबस्सुम हो, कि तुम हो कि सबा हो

जिस ज़मीं पर तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा होता है

जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास

जहाँ तुझ को बिठा कर पूजते हैं पूजने वाले

ग़ुरूर-ज़ब्त से आह-ओ-फ़ुग़ाँ तक बात आ पहुँची

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