Sad Poetry of Hasan Abbas Raza

Sad Poetry of Hasan Abbas Raza
नामहसन अब्बास रज़ा
अंग्रेज़ी नामHasan Abbas Raza
जन्म की तारीख1951
जन्म स्थानRawalpindi

मैं तर्क-ए-तअल्लुक़ पे भी आमादा हूँ लेकिन

धड़कती क़ुर्बतों के ख़्वाब से जागे तो जाना

तीसरी आँख

शाएरी पूरा मर्द और पूरी औरत माँगती है

सफ़र दीवार-ए-गिर्या का

छाजों बरसती बारिश के बाद

अधूरे मौसमों का ना-तमाम क़िस्सा

ज़मीं सरकती है फिर साएबान टूटता है

विसाल-घड़ियों में रेज़ा रेज़ा बिखर रहे हैं

विसाल-घड़ियों में रेज़ा रेज़ा बिखर रहे हैं

तुझ से बिछड़ के सम्त-ए-सफ़र भूलने लगे

शब की शब महफ़िल में कोई ख़ुश-कलाम आया तो क्या

रिया-कारियों से मुसल्लह ये लश्कर मुझे मार देंगे

न आरज़ुओं का चाँद चमका न क़ुर्बतों के गुलाब महके

मैं तलाश में किसी और की मुझे ढूँढता कोई और है

किसी की याद में आँखों को लाल क्या करना

किसी के हिज्र में यूँ टूट कर रोया नहीं करते

इरादा था कि अब के रंग-ए-दुनिया देखना है

हर एक चेहरे पे कंदा हिकायतें देखो

हमें तो ख़्वाहिश-ए-दुनिया ने रुस्वा कर दिया है

गुलाब-ए-सुर्ख़ से आरास्ता दालान करना है

घर लौटते हैं जब भी कोई यार गँवा कर

आँखों से ख़्वाब दिल से तमन्ना तमाम-शुद

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