रंग-ए-सोहबत बदलते जाते हैं
रंग-ए-सोहबत बदलते जाते हैं
साथ के यार चलते जाते हैं
जिन की करते हो तुम मसीहाई
वो मरीज़ अब सँभलते जाते हैं
दिल में होने लगा हुज़ूर का घर
आप साँचे में ढलते जाते हैं
ज़ुल्फ़ उलझते है उन के बालों से
साँप का सर कुचलते जाते हैं
शाएक़-ए-क़त्ल कू-ए-क़ातिल में
कूदते और उछलते जाते हैं
देखते हैं वो अपना जोबन आप
अब तो कुछ कुछ सँभलते जाते हैं
हम तो रोते उधर से आते हैं
आप इधर से मचलते जाते हैं
'मेहर' सोए थे किस के साथ कि सुब्ह
ठंडे ठंडे भी जलते जाते हैं
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