Islamic Poetry (page 42)
फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ
बशीर बद्र
मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
बशीर बद्र
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
बशीर बद्र
किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी
बशीर बद्र
ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने
बशीर बद्र
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
बशीर बद्र
ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
बशीर बद्र
गले में उस के ख़ुदा की अजीब बरकत है
बशीर बद्र
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
बशीर बद्र
वो अपने घर चला गया अफ़्सोस मत करो
बशीर बद्र
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
बशीर बद्र
उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
बशीर बद्र
सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
बशीर बद्र
सर-ए-राह कुछ भी कहा नहीं कभी उस के घर मैं गया नहीं
बशीर बद्र
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है
बशीर बद्र
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
बशीर बद्र
सँवार नोक-पलक अबरुओं में ख़म कर दे
बशीर बद्र
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
बशीर बद्र
मिरी ज़बाँ पे नए ज़ाइक़ों के फल लिख दे
बशीर बद्र
मिरी नज़र में ख़ाक तेरे आइने पे गर्द है
बशीर बद्र
मेरी आँखों में तिरे प्यार का आँसू आए
बशीर बद्र
मेरे दिल की राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा न दे
बशीर बद्र
ख़ून पत्तों पे जमा हो जैसे
बशीर बद्र
ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
बशीर बद्र
जब तक निगार-ए-दाश्त का सीना दुखा न था
बशीर बद्र
फ़लक से चाँद सितारों से जाम लेना है
बशीर बद्र
चमक रही है परों में उड़ान की ख़ुशबू
बशीर बद्र
बे-तहाशा सी ला-उबाली हँसी
बशीर बद्र
आहन में ढलती जाएगी इक्कीसवीं सदी
बशीर बद्र
हम तिरे बंदे हमारा तू ख़ुदा-वंद-ए-करीम
बशीर-उन-निसा बेगम बर्क़