Islamic Poetry (page 43)
दिल जो उम्मीद-वार होता है
बशीरुद्दीन राज़
जुदा भी हो के वो इक पल कभी जुदा न हुआ
बशीर अहमद बशीर
एक ख़्वाहिश
बशर नवाज़
कोई सनम तो हो कोई अपना ख़ुदा तो हो
बशर नवाज़
नहीं बुतों के तसव्वुर से कोई दिल ख़ाली
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
अज़ाँ दी काबे में नाक़ूस दैर में फूँका
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
अज़ाँ दी काबा में नाक़ूस दैर में फूँका
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
वो शाह-ए-हुस्न जो बे-मिस्ल है हसीनों में
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
क़मर की वो ख़ुर्शीद तस्वीर है
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
गया शबाब न पैग़ाम-ए-वस्ल-ए-यार आया
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
बे-बुलाए हुए जाना मुझे मंज़ूर नहीं
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
वक़्त रस्ते में खड़ा है कि नहीं
बाक़ी सिद्दीक़ी
देख आईना जो कहता है कि अल्लाह-रे मैं
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
अपनी मर्ज़ी तो ये है बंदा-ए-बुत हो रहिए
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
यकसाँ लगें हैं उन को तो दैर-ओ-हरम बहम
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
जो तुम और सुब्ह और गुलनार-ए-ख़ंदाँ हो के मिल बैठे
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
सुबुक-सरी में भी अंदेशा-ए-हवा रखना
बाक़र नक़वी
काफ़िरी इश्क़ का शेवा है मगर तेरे लिए
बाक़र मेहदी
नई जुस्तुजू का अलमिया
बाक़र मेहदी
क्या ख़बर थी कि कभी बे-सर-ओ-सामाँ होंगे
बाक़र मेहदी
माँ
बक़ा बलूच
जाने क्या सोच के घर तक पहुँचा
बक़ा बलूच
सर्द, तारीक रात
बलराज कोमल
ड्रग स्टोर
बलराज कोमल
दीदा-ए-तर
बलराज कोमल
वही पत्थर लगा है मेरे सर पर
बख़्श लाइलपूरी
समुंदर का तमाशा कर रहा हूँ
बख़्श लाइलपूरी