Islamic Poetry (page 45)
बे-ख़ुदा होने के डर में बे-सबब रोता रहा
अज़रा परवीन
दिन
अज़रा अब्बास
वतन
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ
अज़्म शाकरी
मैं ने चुप के अंधेरे में ख़ुद को रखा इक फ़ज़ा के लिए
अज़्म बहज़ाद
कहीं गोयाई के हाथों समाअत रो रही है
अज़्म बहज़ाद
किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए
अज़लान शाह
ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था
अज़लान शाह
समझ के रस्ता इधर से गुज़रने वालों ने
अज़लान शाह
क़ुबूल होती हुई बद-दुआ से डरते हैं
अज़लान शाह
किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए
अज़लान शाह
डूबा सफ़ीना जिस में मुसाफ़िर कोई न था
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
लम्हों ने यूँ समेट लिया फ़ासला बहुत
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
अजीब कैफ़ियत आख़िर तलक रही दिल की
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
उस ने मिरे मरने के लिए आज दुआ की
अज़ीज़ वारसी
तिरी तलाश में निकले हैं तेरे दीवाने
अज़ीज़ वारसी
इक हम कि उन के वास्ते महव-ए-फ़ुग़ाँ रहे
अज़ीज़ वारसी
दिल में हमारे अब कोई अरमाँ नहीं रहा
अज़ीज़ वारसी
हर एक रंग में यूँ डूब कर निखरते रहे
अज़ीज़ तमन्नाई
नाला-ए-बे-आसमाँ
अज़ीज़ क़ैसी
ग़रीब शहर
अज़ीज़ क़ैसी
बाक़ीस्त शब-ए-फ़ित्ना
अज़ीज़ क़ैसी
अहद-नामा-ए-इमराेज़
अज़ीज़ क़ैसी
अपनों के करम से या क़ज़ा से
अज़ीज़ क़ैसी
आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला
अज़ीज़ क़ैसी
ये किस वहशत-ज़दा लम्हे में दाख़िल हो गए हैं
अज़ीज़ नबील
सुब्ह और शाम के सब रंग हटाए हुए हैं
अज़ीज़ नबील
हुस्न-ए-आरास्ता क़ुदरत का अतिय्या है मगर
अज़ीज़ लखनवी
अहद में तेरे ज़ुल्म क्या न हुआ
अज़ीज़ लखनवी
लज़्ज़त-ए-ग़म
अज़ीज़ लखनवी