Islamic Poetry (page 41)
ख़ंजर तलाश करता है
बेबाक भोजपुरी
हिकमत का बुत-ख़ाना
बेबाक भोजपुरी
हक़-केश की फ़रियाद
बेबाक भोजपुरी
अहसन तक़्वीम
बेबाक भोजपुरी
सरीर-ए-ख़ामा से तशरीह-ए-सिर्र-ए-ज़ी होगी
बेबाक भोजपुरी
राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का
बेबाक भोजपुरी
जिगर-गुदाज़ मआ'नी समझ सको तो कहूँ
बेबाक भोजपुरी
हक़ पसंदों से जहाँ बर-सर-ए-पैकार सही
बेबाक भोजपुरी
ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है
बेबाक भोजपुरी
बख़्त क्या जाने भला या कि बुरा होता है
बेबाक भोजपुरी
तिरा कुश्ता उठाया अक़रबा ने
बयान यज़दानी
नहीं ये आदमी का काम वाइ'ज़
बयान मेरठी
ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर
बयान मेरठी
यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था
बयान मेरठी
सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ
बयान मेरठी
खुला है जल्वा-ए-पिन्हाँ से अज़-बस चाक वहशत का
बयान मेरठी
ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स
बयान मेरठी
कोई किसी का कहीं आश्ना नहीं देखा
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
इश्वा है नाज़ है ग़म्ज़ा है अदा है क्या है
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
फ़रहाद किस उम्मीद पे लाता है जू-ए-शीर
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
नहीं ये जल्वा-हा-ए-राज़-ए-इरफ़ाँ देखने वाले
बासित भोपाली
जैसे भी ये दुनिया है जो कुछ भी ज़माना है
बासित भोपाली
ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है
बशीरुद्दीन अहमद देहलवी
पूछते हैं वो इश्क़ का मतलब
बशीरुद्दीन अहमद देहलवी
जब मिलेंगे कि अब मिलेंगे आप
बशीरुद्दीन अहमद देहलवी
है दुनिया में ज़बाँ मेरी अगर बंद
बशीरुद्दीन अहमद देहलवी
इक लम्हा भी गुज़ारूँ भला क्यूँ किसी के साथ
बशीर महताब
मिरी नमाज़ मिरी बंदगी मिरा ईमाँ
बशीर फ़ारूक़
उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
बशीर बद्र
सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे
बशीर बद्र