देशभक्तिपूर्ण Poetry (page 5)
हम तो याँ मरते हैं वाँ उस को ख़बर कुछ भी नहीं
ग़ुलाम मौला क़लक़
है ख़मोशी-ए-इंतिज़ार बला
ग़ुलाम मौला क़लक़
बे-गाना-अदाई है सितम जौर-ओ-सितम में
ग़ुलाम मौला क़लक़
किसी को ज़हर दूँगा और किसी को जाम दूँगा
ग़ुलाम हुसैन साजिद
आँधी में भी चराग़ मगन है सबा के साथ
ग़ौसिया ख़ान सबीन
बज़्म-ए-आलम में सदा हम भी नहीं तुम भी नहीं
ग़नी एजाज़
हवा के होंट खुलें साअत-ए-कलाम तो आए
ग़ालिब अयाज़
वाँ पहुँच कर जो ग़श आता पए-हम है हम को
ग़ालिब
नवेद-ए-अम्न है बेदाद-ए-दोस्त जाँ के लिए
ग़ालिब
नाला जुज़ हुस्न-ए-तलब ऐ सितम-ईजाद नहीं
ग़ालिब
मुझ को दयार-ए-ग़ैर में मारा वतन से दूर
ग़ालिब
लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन और
ग़ालिब
है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे
ग़ालिब
बज़्म-ए-शाहंशाह में अशआर का दफ़्तर खुला
ग़ालिब
आबरू क्या ख़ाक उस गुल की कि गुलशन में नहीं
ग़ालिब
शाइरी बात नहीं गर्म-ए-सुख़न होने की
गौहर होशियारपुरी
वह ज़ुल्म-ओ-सितम ढाए और मुझ से वफ़ा माँगे
फ़िरदौस गयावी
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
फ़िराक़ गोरखपुरी
जुगनू
फ़िराक़ गोरखपुरी
हिण्डोला
फ़िराक़ गोरखपुरी
आज़ादी
फ़िराक़ गोरखपुरी
वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई
फ़िराक़ गोरखपुरी
जिन की ज़िंदगी दामन तक है बेचारे फ़रज़ाने हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
दीदार में इक-तरफ़ा दीदार नज़र आया
फ़िराक़ गोरखपुरी
दौर-ए-आग़ाज़-ए-जफ़ा दिल का सहारा निकला
फ़िराक़ गोरखपुरी
ख़ुमार-ए-शब में तिरा नाम लब पे आया क्यूँ
फ़ाज़िल जमीली
इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं
फ़ज़ल हुसैन साबिर
जब भी तुम को सोचा है
फ़ारूक़ नाज़की
खुल कर आख़िर जहल का एलान होना चाहिए
फरीहा नक़वी
आँख को जकड़े थे कल ख़्वाब अज़ाबों के
फ़रहत शहज़ाद