दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में
सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1111) Peoples Rate This
दिल उन के साथ मगर तेग़ और शख़्स के साथ
रौशन दिल वालों के नाम
मिरे सारे हर्फ़ तमाम हर्फ़ अज़ाब थे
हमें तो अपने समुंदर की रेत काफ़ी है
ग़ैरों से दाद-ए-जौर-ओ-जफ़ा ली गई तो क्या
ये नक़्श हम जो सर-ए-लौह-ए-जाँ बनाते हैं
मैं चुप रहा कि वज़ाहत से बात बढ़ जाती
दिल कभी ख़्वाब के पीछे कभी दुनिया की तरफ़
गली-कूचों में हंगामा बपा करना पड़ेगा
ख़ौफ़ के सैल-ए-मुसलसल से निकाले मुझे कोई
मैं अपने ख़्वाब से कट कर जियूँ तो मेरा ख़ुदा
कूच