दिल न देते उसे तो क्या करते
ऐ 'असर' दुख हमें उठाना था
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(781) Peoples Rate This
यूँही उलझी रहने दो क्यूँ आफ़त सर पर लाते हो
तेरी जानिब से मुझ पे क्या न हुआ
बहे साथ अश्क के लख़्त-ए-जिगर तक
लोग जब तेरा नाम लेते हैं
महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था
पा रहा है दिल मुसीबत के मज़े
हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है
कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती
दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
दिल की हालत से ख़बर देती है
अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा
जान कर 'मीर' का कलाम 'असर'