Coupletss of Iqbal Kausar
नाम | इक़बाल कौसर |
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अंग्रेज़ी नाम | Iqbal Kausar |
कविताएं
Ghazal 12
Nazam 2
Couplets 10
Love 11
Sad 10
Heart Broken 8
Bewafa 1
Hope 4
Friendship 3
Islamic 2
Social 1
बारिश 1
ख्वाब 4
ज़ियान-ए-दिल ही इस बाज़ार में सूद-ए-मोहब्बत है
वो भी रो रो के बुझा डाला है अब आँखों ने
तिरी पहली दीद के साथ ही वो फ़ुसूँ भी था
तिरे जुज़्व जुज़्व ख़याल को रग-ए-जाँ में पूरा उतार कर
पर ले के किधर जाएँ कुछ दूर तक उड़ आएँ
मिरी ख़ाक उस ने बिखेर दी सर-ए-रह ग़ुबार बना दिया
जिस तरह लोग ख़सारे में बहुत सोचते हैं
ध्यान आया मुझे रात की तन्हा-सफ़री का
बनना था तो बनता न फ़रिश्ता न ख़ुदा मैं
अब बाँझ ज़मीनों से उम्मीद भी क्या रखना