आजिज़ है ख़याल और तफ़क्कुर-ए-हैराँ
हवा और सूरज का मुक़ाबला
अहमद का मक़ाम है मक़ाम-ए-महमूद
ऊँट
मा'लूम का नाम है निशाँ है न असर
देखा तो कहीं नज़र न आया हरगिज़
छोटे काम का बड़ा नतीजा
दर-अस्ल कहाँ है इख़्तिलाफ़-ए-अहवाल
ढूँडा करे कोई लाख क्या मिलता है
एक वक़्त में एक काम
ये क़ौल किसी बुज़ुर्ग का सच्चा है
करता हूँ सदा मैं अपनी शानें तब्दील