अफ़्लास अच्छा न फ़िक्र-ए-दौलत अच्छी
जो दिल को पसंद हो वो हालत अच्छी
जिस से इस्लाह-ए-नफ़्स ना-मुम्किन हो
उस ऐश से हर तरह मुसीबत अच्छी
Mohsin Naqvi
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अंदाज़-ए-जफ़ा बदल के देखो तो सही
मिलना किस काम का अगर दिल न मिले
तुम तेशा-ए-बाग़बाँ से क्यूँ मुज़्तर हो
अब दुश्मन-ए-जाँ ही कुल्फ़त-ए-ग़म साक़ी
फूलों से तमीज़-ए-ख़ार पैदा कर लें
हर क़ल्ब पे बिजलियाँ गिराती आई
नाला तेरा नाज़ से बाला है
सरमाया-ए-ए'तिबार दे दें तुम को