नाला तेरा नाज़ से बाला है
ये राज़ इफ़शा-ए-राज़ से बाला है
इंसाँ मा'ज़ूर फ़िक्र-ए-इंसाँ मा'ज़ूर
नग़्मा-ए-आवाज़ साज़ से बाला है
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Mir Taqi Mir
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अफ़्लास अच्छा न फ़िक्र-ए-दौलत अच्छी
हर क़ल्ब पे बिजलियाँ गिराती आई
अब दुश्मन-ए-जाँ ही कुल्फ़त-ए-ग़म साक़ी
फूलों से तमीज़-ए-ख़ार पैदा कर लें
सरमाया-ए-ए'तिबार दे दें तुम को
अंदाज़-ए-जफ़ा बदल के देखो तो सही
मिलना किस काम का अगर दिल न मिले
तुम तेशा-ए-बाग़बाँ से क्यूँ मुज़्तर हो