हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
जाने वाले क़मर को रोके कोई
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
मुबहम पयाम
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
ख़ुद से न उदास हूँ न मसरूर हूँ मैं
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
आज़ादि-ए-फ़िक्र ओ दर्स-ए-हिकमत है गुनाह
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है