गुलों का, नग़्मों का, ख़्वाबों का चाँदनी का सलाम
खुली फ़ज़ाओं का, ख़ुशबू का रौशनी का सलाम
गली गली का ये जोगी, नगर नगर का फ़क़ीर
तुम्हारे शहर में लाया है ज़िंदगी का सलाम
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Gulzar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(694) Peoples Rate This
दिल-जलों को सताने आए हैं
मिरी जवानी बहारों में भी उदास रही
बड़ी शफ़ीक़, बड़ी ग़म-शनास लगती हैं
आरज़ू के दिए जलाने से
तुम्हारी याद के उजड़े हुए, उदास चमन
इतनी तल्ख़ फ़ज़ा में भी हम ज़िंदा हैं
आ कि बज़्म-ए-तरब सजा लें हम
तू मिरे साथ अब नहीं है दोस्त
सख़्त-जाँ भी हैं और नाज़ुक भी
ज़िंदगी की हसीन शहज़ादी
तुम गुनाहों से डर के जीते हो