ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त
रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद
अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
हाल-ए-दिल तुम से आज कहता हूँ
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल