तलाश इस तरह बज़्म-ए-ऐश में है बे-निशानों की
कोई कपड़े में जैसे ज़ख़्म-ए-सोज़न का निशाँ ढूँढे
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माथे पे लगा संदल वो हार पहन निकले
लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो
ज़ाहिद का दिल न ख़ातिर-ए-मय-ख़्वार तोड़िए
ऐ आफ़्ताब हादी-ए-कू-ए-निगार हो
मैं कहा बोलना शब ग़ैर से था तुम को क्या
शौक़-ए-ख़राश-ए-ख़ार मिरे दिल में रह गया
न काफ़िर से ख़ल्वत न ज़ाहिद से उल्फ़त
या ख़फ़ा होते थे हम तो मिन्नतें करते थे आप
न पाया खोज बरसों नक़्श-ए-पा-ए-रफ़्तगाँ ढूँढे
जंगलों में जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई करूँ
क्या दिन थे जब छुप छुप कर तुम पास हमारे आते थे
रंग-ए-गुल-ए-शगुफ़्ता हूँ आब-ए-रुख़-ए-चमन हूँ मैं