सदियों से किनारे पे खड़ा सूख रहा है
इस शहर को दरिया में गिरा देना चाहिए
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नींद
क़ुर्ब ओ बोद
अकेली औरत और टी-वी
किसी से कोई तअल्लुक़ रहा न हो जैसे
जाते जाते देखना पत्थर में जाँ रख जाऊँगा
रात कौन आया था
आग पानी से डरता हुआ मैं ही था
इक लड़का था इक लड़की थी
अब किसी की याद भी आती नहीं
ज़मीं कहीं भी न थी चार-सू समुंदर था
यकुम जनवरी
गिरह में रिश्वत का माल रखिए