रात इक घर जल गया!
घर जला तो आग में
घर के सब अफ़राद भी
जल के कोयला हो गए
आग ठंडी पड़ गई तो
देखने वालों ने देखा
घर के इक हिस्से में जो
बच गया था आग से
एक नन्ह-मुन्नी बच्ची
भेंच कर छाती से गुड़िया
सो रही थी बे-ख़बर!
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
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ज़मीन लोगों से डर गई है
कितना मुश्किल है ज़िंदगी करना
काँटे की तरह सूख के रह जाओगे 'अल्वी'
'अल्वी' ने आज दिन में कहानी सुनाई थी
अकेली औरत और टी-वी
सफ़र में सोचते रहते हैं छाँव आए कहीं
दिन इक के बा'द एक गुज़रते हुए भी देख
क़ुर्ब ओ बोद
इक दिया देर से जलता होगा
रौशनी कुछ तो मिले जंगल में
माना कि तू ज़हीन भी है ख़ूब-रू भी है
शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ