Ghazals of Mughni Tabassum

Ghazals of Mughni Tabassum
नाममुग़नी तबस्सुम
अंग्रेज़ी नामMughni Tabassum
जन्म की तारीख1931
मौत की तिथि2012
जन्म स्थानHyderabad

यूँ लगता है सब कुछ खोने आया था

यहाँ से डूब कर जाना है मुझ को

तपते सहरा में ये ख़ुशबू साथ कहाँ से आई

सुब्हें कैसी आग लगाने वाली थीं

रंज-ए-गिरान-ए-शौक़ का हासिल न कह इसे

निगाहों से निकल कर जो गए हैं

नाम ही रह गया इक अंजुमन-आराई का

मैं एक अंधे कुएँ का क़ैदी किसे मिलूँगा

क्या कोई दर्द दिल के मुक़ाबिल नहीं रहा

गिरना नहीं है और सँभलना नहीं है अब

फ़ज़ा में नग़्मा-ए-आवाज़-ए-पा है मेरे लिए

दिल की लगी रह जाएगी

छुपा रक्खा था यूँ ख़ुद को कमाल मेरा था

अज़ाब हो गई ज़ंजीर-ए-दस्त-ओ-पा मुझ को

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