बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना

बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना

इक आग सी जज़्बों की दहकाए हुए रहना

छलकाए हुए चलना ख़ुशबू लब-ए-लालीं की

इक बाग़ सा साथ अपने महकाए हुए रहना

उस हुस्न का शेवा है जब इश्क़ नज़र आए

पर्दे में चले जाना शरमाए हुए रहना

इक शाम सी कर रखना काजल के करिश्मे से

इक चाँद सा आँखों में चमकाए हुए रहना

आदत ही बना ली है तुम ने तो 'मुनीर' अपनी

जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना

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In Hindi By Famous Poet Muneer Niyazi. is written by Muneer Niyazi. Complete Poem in Hindi by Muneer Niyazi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.