जब कभी मस्की कटोरी क्या सदा पैदा हुई
करती है अंगिया की चिड़िया चहचहाने की हवस
Anwar Masood
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Javed Akhtar
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Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
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पाया तबीब ने जो तिरी ज़ुल्फ़ का मरीज़
अशआ'र मेरे सुन के वो ख़ामोश हो गया
असर कर के आह-ए-रसा फिर गई
सदमे से बाल शीशा-ए-गर्दूँ में पड़ गया
वो बहर-ए-करम जो मेहरबाँ हो जाए
फ़र्ज़ है दरिया-दिलों पर ख़ाकसारों की मदद
दिल तो पज़मुर्दा है दाग़-ए-गुल्सिताँ हों तो क्या
बे-तकल्लुफ़ आ गया वो मह दम-ए-फ़िक्र-ए-सुख़न
मुज़्तरिब आशिक़-ए-बे-जाँ न हुआ था सो हुआ
साबित रहा फ़लक मिरे नालों के सामने
ऐ रश्क-ए-माह रात को मुट्ठी न खोलना
बे-इल्म शाइरों का गिला क्या है ऐ 'मुनीर'