मैं भी शायद आप को तन्हा मिलों
अपनी तन्हाई में जा कर देखिए
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(400) Peoples Rate This
धूप सी उम्र बसर करना है
कैसे पता चलेगा अगर सामना न हो
गो तर्क-ए-तअल्लुक़ में भी शामिल हैं कई दुख
किसी ने भी उसे देखा नहीं है
उसे देखा तो हर बे-चेहरगी कासा उठा लाई
रात रौशन न हुई काहकशाँ होते हुए
क़दम क़दम पर तुम्हारी यूँ तो इनायतें भी बहुत हुइ हैं
वो तमाशा आप की जादू-बयानी से हुआ
मैं और मेरा शौक़-ए-सफ़र साथ हैं मगर
छू के गुज़रा मुझे ज़माना सा
इस तरह सजा रक्खे हैं मैं ने दर-ओ-दीवार
होते होते मैं पहुँच जाता हूँ अपने आप तक