हमारे मय-कदे में ख़ैर से हर चीज़ रहती है
मगर इक तीस दिन के वास्ते रोज़े नहीं रहते
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(266) Peoples Rate This
लड़ाई है तो अच्छा रात-भर यूँ ही बसर कर लो
ज़ुल्फ़ को क्यूँ जकड़ के बाँधा है
साक़ी वो ख़ास तौर की ता'लीम दे मुझे
हसीनों पर नहीं मरता मैं इस हसरत में मरता हूँ
न रो इतना पराए वास्ते ऐ दीदा-ए-गिर्यां
उस से कह दो कि वो जफ़ा न करे
नमक-पाश ज़ख़्म-ए-जिगर अब तो आ जा
मिरे अरमान मायूसी के पाले पड़ते जाते हैं
क़िबला बन जाए जहाँ तू कोई पत्थर रख दे
इक नक़्श-ए-ख़याल रू-ब-रू है
आप क्यूँ बैठे हैं ग़ुस्से में मिरी जान भरे
पूछा कि वज्ह-ए-ज़िंदगी बोले कि दिलदारी मिरी