चटपटी दिल की बुझी यार के देखे से यूँ
भूके को जैसे कहीं से गोया खाना आया
Wasi Shah
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Rahat Indori
Gulzar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(413) Peoples Rate This
नागिन है ज़ुल्फ़-ए-यार न ज़िन्हार देखना
और सब 'मानी' ने तेरी तो बनाई तस्वीर
जितना कि है इफ़रात तिरी कम-निगही का
वाजिबी बात कहीं ज़रा कहिए
जो बात मनअ' की है उसे कहिए क्यूँ
ये सारा क़ज़िया तो हम से है इस से तुम को क्या
वो यार हम से ख़फ़ा है तो हो हुआ सो हुआ
ईधर से सेते जाओ और ऊधर से फटता जाए
इस माजरा को जा के कहूँ किस के रू-ब-रू
दीजे नहीं कसू को तो फिर लीजिए भी नहिं
फ़स्ल-ए-गुल में हर घड़ी ये अब्र-ओ-बाराँ फिर कहाँ
जफ़ा का उस की गिला मत करो हुआ सो हुआ