Nazam Poetry (page 86)
वजूद का फैलाव
मुबीन मिर्ज़ा
उस ख़्वाब में
मुबीन मिर्ज़ा
तुझे अपने लिए
मुबीन मिर्ज़ा
राग ज्ञान
मुबीन मिर्ज़ा
प्यास
मुबीन मिर्ज़ा
मोहब्बत रम्ज़-ए-हस्ती है
मुबीन मिर्ज़ा
लम्हों के असरार
मुबीन मिर्ज़ा
इदराक
मुबीन मिर्ज़ा
एहसास
मुबीन मिर्ज़ा
बे-अमाँ
मुबीन मिर्ज़ा
अहल-ए-हुनर बेकार हुए
मुबीन मिर्ज़ा
आज़ार
मुबीन मिर्ज़ा
नज़्म
मुबारक हैदर
नज़्म
मुबारक हैदर
नज़्म
मुबारक हैदर
नींद आती है तो लगता है के तुम आए हो
मोनी गोपाल तपिश
एक ठंडी ओस में लिपटी नज़र की रौशनी है
मोनी गोपाल तपिश
और तुम दस्तकें देते रहो
मोनी गोपाल तपिश
ऐ मेरी जाँ मिरी आँखों की रौशनी सुन तो
मोनी गोपाल तपिश
तवाइफ़
मुईन अहसन जज़्बी
तवहहुम
मुईन अहसन जज़्बी
मुतरबा
मुईन अहसन जज़्बी
मेरी शायरी और नक़्क़ाद
मुईन अहसन जज़्बी
मेरे सिवा
मुईन अहसन जज़्बी
मौत
मुईन अहसन जज़्बी
ख़्वाब-ए-हस्ती
मुईन अहसन जज़्बी
गुल
मुईन अहसन जज़्बी
फ़ितरत एक मुफ़लिस की नज़र में
मुईन अहसन जज़्बी
चश्म-ए-सवाल!
मुईन अहसन जज़्बी
बड़े नाज़ से आज उभरा है सूरज
मुईन अहसन जज़्बी