हमें बुरा नहीं लगता सफ़ेद काग़ज़ भी
ये तितलियाँ तो तुम्हारे लिए बनाते हैं
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(307) Peoples Rate This
चाहता हूँ मैं तशद्दुद छोड़ना
ये ख़्वाब कौन दिखाने लगा तरक़्क़ी के
क़ाएदे बाज़ार के इस बार उल्टे हो गए
नाम से उस के पुकारूँ ख़ुद को
रूह की थाप न रोको कि क़यामत होगी
आँख खुल जाए तो घर मातम-कदा बन जाएगा
वो साँप जिस ने मुझे आज तक डसा भी नहीं
हम भी माचिस की तीलियों से थे
हर मुत्तक़ी को इस से सबक़ लेना चाहिए
किसी के साए किसी की तरफ़ लपकते हुए
जाने किस उम्मीद पे छोड़ आए थे घर-बार लोग
इस बार इंतिज़ाम तो सर्दी का हो गया