इस बार इंतिज़ाम तो सर्दी का हो गया
क्या हाल पेड़ कटते ही बस्ती का हो गया
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मिरी ख़ुशियों से वो रिश्ता है तुम्हारा अब तक
वो तो कहिए आप की ख़ुशबू ने पहचाना मुझे
ज़रा ये हाथ मेरे हाथ में दो
सारे चक़माक़-बदन आए थे तय्यारी से
क़ाएदे बाज़ार के इस बार उल्टे हो गए
सितारा-साज़ ये हम पर करम फ़रमाते रहते हैं
तक़वा
आँख खुल जाए तो घर मातम-कदा बन जाएगा
इश्क़ का मतलब किसे मालूम था
मिरा कुछ रास्ते में खो गया है
पाँव के नीचे से पहले खींच ली सारी ज़मीं
भरे हुए हैं अभी रौशनी की दौलत से