सारे चक़माक़-बदन आए थे तय्यारी से
रौशनी ख़ूब हुई रात की चिंगारी से
Mir Taqi Mir
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जान-ए-जाँ मायूस मत हो हालत-ए-बाज़ार से
आसमानों से ज़मीं की तरफ़ आते हुए हम
अच्छा इश्क़
क़ाएदे बाज़ार के इस बार उल्टे हो गए
डूबने वाला ही था साहिल बरामद कर लिया
सब अपने अपने ख़ुदाओं में जा के बैठ गए
वो तो कहिए आप की ख़ुशबू ने पहचाना मुझे
चाहता हूँ कि पुकारे तुम्हें दिन रात जहाँ
हर मुत्तक़ी को इस से सबक़ लेना चाहिए
इश्क़ का मतलब किसे मालूम था
किसी के साए किसी की तरफ़ लपकते हुए
दिल दे न दे मगर ये तिरा हुस्न-ए-बे-मिसाल