वो तो कहिए आप की ख़ुशबू ने पहचाना मुझे
इत्र कह के जाने क्या क्या बेचते अत्तार लोग
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कभी लिबास कभी बाल देखने वाले
आसमानों से ज़मीं की तरफ़ आते हुए हम
अपनी मर्ज़ी के ख़िलाफ़
दिल भी एहसासात भी जज़्बात भी
आँख खुल जाए तो घर मातम-कदा बन जाएगा
पूछो कि उस के ज़ेहन में नक़्शा भी है कोई
ऐसे मिले नसीब से सारे ख़ुदा कि बस
चख लिया उस ने प्यार थोड़ा सा
हर मुत्तक़ी को इस से सबक़ लेना चाहिए
पाँव के नीचे से पहले खींच ली सारी ज़मीं
तबाह कर तो दूँ ज़ाहिर-परस्त दुनिया को