आसमानों से ज़मीं की तरफ़ आते हुए हम
एक मजमे के लिए शेर सुनाते हुए हम
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Jaun Eliya
Habib Jalib
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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एक आयत पढ़ के अपने-आप पर दम कर दिया
कभी लिबास कभी बाल देखने वाले
रूह की थाप न रोको कि क़यामत होगी
मुझे कुछ याद आता है
दश्त में रात बनाते हुए डरता हूँ मैं
और मत देखिए अब अद्ल-ए-जहाँगीर के ख़्वाब
बड़े घरों में रही है बहुत ज़माने तक
इश्क़ क्या है ख़ूबसूरत सी कोई अफ़्वाह बस
डूबने वाला ही था साहिल बरामद कर लिया
सब जहाँगीर नियामों से निकल आएँगे
फ़क़ीर लोग रहे अपने अपने हाल में मस्त
पाँव के नीचे से पहले खींच ली सारी ज़मीं