रूह की थाप न रोको कि क़यामत होगी
तुम को मालूम नहीं कौन कहाँ रक़्स में है
Habib Jalib
Gulzar
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Rahat Indori
Wasi Shah
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दिल भी एहसासात भी जज़्बात भी
रो रो के लोग कहते थे जाती रहेगी आँख
अब इसे ग़र्क़ाब करने का हुनर भी सीख लूँ
सहरा ओ शहर सब से आज़ाद हो रहा हूँ
मुझे कुछ याद आता है
सब जहाँगीर नियामों से निकल आएँगे
कबूतरों में ये दहशत कहाँ से दर आई
तक़वा
ऐसी ही एक शब में किसी से मिला था दिल
चाहता हूँ कि पुकारे तुम्हें दिन रात जहाँ
ख़ुदा मुआफ़ करे ज़िंदगी बनाते हैं
हर मुत्तक़ी को इस से सबक़ लेना चाहिए