मिरा कुछ रास्ते में खो गया है
अचानक चलते चलते रुक गया हूँ
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सैर-ए-दुनिया को जाते हो जाओ
कभी लिबास कभी बाल देखने वाले
दूर जितना भी चला जाए मगर
तबाह कर तो दूँ ज़ाहिर-परस्त दुनिया को
अपनी आहट पे चौंकता हूँ मैं
मैं ख़ानक़ाह-ए-बदन से उदास लौट आया
उस ने हँस कर हाथ छुड़ाया है अपना
सारे चक़माक़-बदन आए थे तय्यारी से
नाम ही ले ले तुम्हारा कोई
नाम से उस के पुकारूँ ख़ुद को
एक आयत पढ़ के अपने-आप पर दम कर दिया
मस्जिदों में क़त्ल होने की रिवायत है यहाँ