मेरी ख़ुशियों से वो रिश्ता है तुम्हारा अब तक
ईद हो जाए अगर ईद-मुबारक कह दो
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बताऊँ कैसे कि सच बोलना ज़रूरी है
जान-ए-जाँ मायूस मत हो हालत-ए-बाज़ार से
आसमानों से ज़मीं की तरफ़ आते हुए हम
बरसों पुराने ज़ख़्म को बे-कार कर दिया
मिरी ख़ुशियों से वो रिश्ता है तुम्हारा अब तक
इंसानियत के ज़ोम ने बर्बाद कर दिया
आँख खुल जाए तो घर मातम-कदा बन जाएगा
फ़क़ीर लोग रहे अपने अपने हाल में मस्त
ज़रा ये हाथ मेरे हाथ में दो
सितारा-साज़ ये हम पर करम फ़रमाते रहते हैं
कभी लिबास कभी बाल देखने वाले
उस का मिलना कोई मज़ाक़ है क्या