मौसम-ए-वज्द में जा कर मैं कहाँ रक़्स करूँ
अपनी दुनिया मिरी वहशत के बराबर कर दे
Allama Iqbal
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Javed Akhtar
Anwar Masood
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ऐसी ही एक शब में किसी से मिला था दिल
रोक दो ये रौशनी की तेज़ धार
एक दिन दोनों ने अपनी हार मानी एक साथ
रात लम्बी थी सितारा मिरा ताजील में था
जान-ए-जाँ मायूस मत हो हालत-ए-बाज़ार से
अब इसे ग़र्क़ाब करने का हुनर भी सीख लूँ
सारे चक़माक़-बदन आए थे तय्यारी से
रूह की थाप न रोको कि क़यामत होगी
तिरे बग़ैर कोई और इश्क़ हो कैसे
डूबने वाला ही था साहिल बरामद कर लिया
डर डर के जागते हुए काटी तमाम रात
एक आयत पढ़ के अपने-आप पर दम कर दिया